उड़ जा रे परिंदे खुले गगन में
कि अब कोई रैनबसेरा रह न गया है…
तेरी किस्मत में शायद सिर्फ उरना लिखा है
पग-पग पर ठोकर -ऐ -गम ही लिखा है…
चाहा जिसे भी तूने वही तुझे जीवन भर का गम दे गया है…
बहते समय की धारा में बह जा
मिलने -बिछरने से ऊपर तू उठ जा …
रोया बहुत तू की खोया बहुत तू
की खोने की बारी अब किसी और की है
की हँसने की बारी बस अब तेरी है…
जहाँ ठहर सा गया था
नहीं वो मंजिल तेरी कभी थी …
तू बन गंगा की धारा
जा सागर में मिल जा…
उर जा परिंदे की उरने की बारी बस अब तेरी है…
की कुछ करने की बारी बस अब तेरी है… !!!
कि अब कोई रैनबसेरा रह न गया है…
तेरी किस्मत में शायद सिर्फ उरना लिखा है
पग-पग पर ठोकर -ऐ -गम ही लिखा है…
चाहा जिसे भी तूने वही तुझे जीवन भर का गम दे गया है…
बहते समय की धारा में बह जा
मिलने -बिछरने से ऊपर तू उठ जा …
रोया बहुत तू की खोया बहुत तू
की खोने की बारी अब किसी और की है
की हँसने की बारी बस अब तेरी है…
जहाँ ठहर सा गया था
नहीं वो मंजिल तेरी कभी थी …
तू बन गंगा की धारा
जा सागर में मिल जा…
उर जा परिंदे की उरने की बारी बस अब तेरी है…
की कुछ करने की बारी बस अब तेरी है… !!!